sriroma Offline

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prithveeraj_singh
prithveeraj_singh: कतरा समंदर में मिल जाये , कतरा नही रहता
वजूद मिट सा जाता है , पर तनहा नही रहता

हजारो मुश्किलों का सामना , यूँ करता आया
हैरान हुं अरसा गुजरा , पर अश्क नही बहता ,

यूँ तो कबका मै , बस में कर लेता तुझको
कहते है मोहब्बत पर किसीका, जोर नही चलता

ऐ जिंदगी , तुझसे सिखा है मैंने बहोत कुछ !
हर एक वार तेरा , मै यूँ हि नही सहता

होती है बात में ताजगी और सच्चाई कि रौशनी
बात कहनी है , इसीलिए मै बात नही कहता

ताकत -ऐ -खुदा पर ,शक सा है इंसां को
झूट है कि इंसान , अपने साये से नही डरता

अकेले ना बिताओ जिंदगी , रहो घुलमिल कर
पता चला के , आखरी वक़्त जनाजा नही उठता

तमन्नाए पूरी करलो कुछ ना बाकि रहे 'साजिद '
आंखरी सांस पर भी इंसान , मरते नही मरता
13 years ago ReplyReport Link
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